पाँच प्रमुख तत्त्व (पंचमहाभूत)

कपिलतंत्र में वर्णित श्लोक के अनुसार पाँच प्रमुख तत्त्वों (पंचमहाभूत) से जुड़ी देवताओं का उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार हैं:
आकाश तत्त्व – इसकी देवता विष्णु हैं। आकाश तत्त्व व्यापकता और अनंतता का प्रतीक है, और विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में माना जाता है, जो सभी दिशाओं में व्याप्त हैं। आकाश तत्त्व में सूक्ष्मता और शांति होती है, जो विष्णु की प्रकृति के साथ मेल खाता है।
अग्नि तत्त्व – इसकी देवता महेश्वरी यानी दुर्गा हैं। अग्नि तत्त्व शक्ति, ऊर्जा, और परिवर्तन का प्रतीक है, और महेश्वरी (दुर्गा) को शक्ति और शक्ति की देवी माना जाता है, जो बुराइयों का नाश करने वाली हैं। अग्नि का तेज और उग्र स्वभाव दुर्गा की शक्तिशाली और प्रचंड रूप का प्रतीक है।
वायु तत्त्व – इसकी देवता सूर्य हैं। वायु तत्त्व गति और जीवन ऊर्जा का प्रतीक है, और सूर्य जीवन का आधार हैं, जो ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करते हैं। सूर्य वायु तत्त्व के साथ जुड़कर जीवन को सक्रिय करते हैं।
पृथ्वी तत्त्व – इसकी देवता शिव (ईश/शंकर) हैं। पृथ्वी तत्त्व स्थिरता, धैर्य, और पोषण का प्रतीक है। शिव को संहारक के साथ-साथ सृष्टि की पुनर्रचना करने वाला भी माना जाता है, और पृथ्वी की स्थिरता उनके धैर्य और संयम का प्रतीक है।
जल तत्त्व – इसकी देवता गणपति हैं। जल तत्त्व शुद्धता, जीवनधारा, और तरलता का प्रतीक है, और गणपति को ज्ञान, बाधाओं के विनाशक और नई शुरुआत के रूप में पूजा जाता है। जल जीवन के प्रवाह का प्रतीक है, और गणपति के आशीर्वाद से जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।
इस प्रकार, कपिलतंत्र के अनुसार प्रत्येक पंचमहाभूत तत्त्व के लिए एक विशिष्ट देवता का निर्धारण किया गया है, जो उस तत्त्व की विशेषताओं को दर्शाते हैं और उन्हें समर्पित पूजा का मार्गदर्शन करते हैं।

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