Blog

Your blog category

ज्योतिष शास्त्र: एक प्राचीन ज्ञान की धरोहर

ज्योतिष शास्त्र मानव सभ्यता के आरंभ से ही एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। यह प्राचीन विद्या ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के आधार पर व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान करती है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र वेदों पर आधारित है और इसे ‘वेदांग’ के रूप में जाना जाता है।ग्रहों का प्रभावज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक ग्रह का व्यक्ति के जीवन पर एक विशिष्ट प्रभाव होता है। जैसे सूर्य व्यक्ति की आत्मा और शक्ति का प्रतीक है, चंद्रमा मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है। इसी प्रकार शनि, मंगल, गुरु, शुक्र, राहु और केतु भी अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। जन्म कुंडली के माध्यम से यह समझा जाता है कि कौन सा ग्रह किस स्थान पर स्थित है और उसका जीवन पर क्या प्रभाव होगा।कुंडली का महत्वजन्म कुंडली, जिसे ‘जन्म पत्रिका’ भी कहा जाता है, व्यक्ति के जन्म समय और स्थान के आधार पर बनाई जाती है। इसमें ग्रहों की स्थिति, उनकी दृष्टि, और अन्य योगों के आधार पर व्यक्ति के भविष्य के बारे में जानकारी दी जाती है। कुंडली का अध्ययन करके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, करियर, विवाह, स्वास्थ्य आदि से संबंधित भविष्यवाणी की जाती है। ज्योतिष और remediesकई बार ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर व्यक्ति को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं का समाधान भी ज्योतिष में बताया जाता है। उदाहरण के लिए, रत्न धारण करना, दान करना, मंत्र जाप करना, और अन्य उपाय ग्रहों की अनुकूलता लाने के लिए सुझाए जाते हैं।निष्कर्षज्योतिष शास्त्र केवल भविष्यवाणी करने की विद्या नहीं है, बल्कि यह हमें अपनी जीवन यात्रा को समझने, चुनौतियों से निपटने और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है।

ज्योतिष शास्त्र: एक प्राचीन ज्ञान की धरोहर Read More »

पाँच प्रमुख तत्त्व (पंचमहाभूत)

कपिलतंत्र में वर्णित श्लोक के अनुसार पाँच प्रमुख तत्त्वों (पंचमहाभूत) से जुड़ी देवताओं का उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार हैं:आकाश तत्त्व – इसकी देवता विष्णु हैं। आकाश तत्त्व व्यापकता और अनंतता का प्रतीक है, और विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में माना जाता है, जो सभी दिशाओं में व्याप्त हैं। आकाश तत्त्व में सूक्ष्मता और शांति होती है, जो विष्णु की प्रकृति के साथ मेल खाता है।अग्नि तत्त्व – इसकी देवता महेश्वरी यानी दुर्गा हैं। अग्नि तत्त्व शक्ति, ऊर्जा, और परिवर्तन का प्रतीक है, और महेश्वरी (दुर्गा) को शक्ति और शक्ति की देवी माना जाता है, जो बुराइयों का नाश करने वाली हैं। अग्नि का तेज और उग्र स्वभाव दुर्गा की शक्तिशाली और प्रचंड रूप का प्रतीक है।वायु तत्त्व – इसकी देवता सूर्य हैं। वायु तत्त्व गति और जीवन ऊर्जा का प्रतीक है, और सूर्य जीवन का आधार हैं, जो ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करते हैं। सूर्य वायु तत्त्व के साथ जुड़कर जीवन को सक्रिय करते हैं।पृथ्वी तत्त्व – इसकी देवता शिव (ईश/शंकर) हैं। पृथ्वी तत्त्व स्थिरता, धैर्य, और पोषण का प्रतीक है। शिव को संहारक के साथ-साथ सृष्टि की पुनर्रचना करने वाला भी माना जाता है, और पृथ्वी की स्थिरता उनके धैर्य और संयम का प्रतीक है।जल तत्त्व – इसकी देवता गणपति हैं। जल तत्त्व शुद्धता, जीवनधारा, और तरलता का प्रतीक है, और गणपति को ज्ञान, बाधाओं के विनाशक और नई शुरुआत के रूप में पूजा जाता है। जल जीवन के प्रवाह का प्रतीक है, और गणपति के आशीर्वाद से जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।इस प्रकार, कपिलतंत्र के अनुसार प्रत्येक पंचमहाभूत तत्त्व के लिए एक विशिष्ट देवता का निर्धारण किया गया है, जो उस तत्त्व की विशेषताओं को दर्शाते हैं और उन्हें समर्पित पूजा का मार्गदर्शन करते हैं।

पाँच प्रमुख तत्त्व (पंचमहाभूत) Read More »

टैरो कार्ड के बारे में.

टैरो कार्ड की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियाँ हैं जो मैंने अपने मास्टर से सुनी हैं, कुछ का कहना है कि इसका आविष्कार 1000 साल पहले मिस्र ने किया था, कुछ का कहना है कि इसकी उत्पत्ति 14वीं या 15वीं शताब्दी के दौरान उत्तरी इटली में हुई थी। सबसे पुराना जीवित सेट जिसे विस्कोन्टी- स्फ़ोर्ज़ा डेक के नाम से जाना जाता है, 1440 के आसपास मिलान के परिवार के ड्यूक के लिए बनाया गया था। कार्डों का उपयोग एक पुल जैसा खेल खेलने के लिए किया जाता था जिसे TAROCCHI के नाम से जाना जाता था जो उस समय रईसों और अन्य अवकाश प्रेमियों के बीच लोकप्रिय था।  इसका मतलब यह है कि, इस रहस्यमय टैरो कार्ड का उपयोग लोग केवल खेल और मनोरंजन के लिए कर रहे थे। लेकिन फिर उन्होंने इन कार्डों की मदद से अपने प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया। और अंततः इसे टैरो कार्ड रिगार्ड कहा गया। क्या आप जानते हैं कि हम अपने प्रश्नों का उत्तर उन कार्डों की सहायता से पा सकते हैं जिन्हें हम बचपन से खेलते आ रहे हैं। हाँ, मैं इन कार्डों के बारे में बात कर रहा हूँ♦️♠️♥️♣️। जी हां हैरान हो गए, लेकिन ये सच है. मानक आधुनिक टैरो डेक वेनिस या पीडमोंटेस टैरो पर आधारित है। इसमें 78 कार्ड हैं जो 2 समूहों में विभाजित हैं। मेजर आर्काना जिसमें 22 कार्ड हैं और माइनर आर्काना जिसमें 56 कार्ड हैं। मैं ओशो ज़ेन कार्ड का उपयोग करता हूं जिसमें कुल 79 कार्ड हैं। पहला अतिरिक्त कार्ड MSATER OSHO ZEN ही है। आजकल बाज़ार में अनेक प्रकार के कार्ड उपलब्ध हैं। जैसे, ओरेकल कार्ड, एंजल कार्ड… इत्यादि…मैं विशेष रूप से ओएसएचई जेन डेक और ओरेकल कार्ड का उपयोग करता हूं।

टैरो कार्ड के बारे में. Read More »

मुख्य दरवाजा सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के उपाय

आज मैं आप से वास्तु शास्त्र के बारे में कुछ बाते शेयर करना चाहती हू की, कितना महत्व का है ये वास्तु शास्त्र।हमारे ऋषि मुनि जी ने इसे कुछ सोच समझकर ही बनाया होगा है ना पर कही न कही आज हम इसे भूल गए है। तो उसी को मैं आप सब से अवगत करवा दुगी। तो स्टार्ट करते है हमारे घर के दरवाजे से, १) घर के दरवाजे पर रोशनी होनी चाहिए क्योंकि अंधेरा नेगेटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है। जिससे आप के घर में ज्यादा बीमारियां आ सकती है, पैसे नही बचते, घर में शांति नहीं रहती वगैरा ……. हो सकता है।२)घर के एंट्रेंस पर सुंदर रंगोली बनाएं, दिया लगाए, umbra पट्टी की पूजा करे। जिस से माता लक्ष्मी अट्रैक्ट होगी और घर में शांति बनी रहेगी।३)सुबह और शाम आप इत्र या गुलाब जल को छिड़क दो पॉजिटिव एनर्जी अपने आप बढ़े gi और आप खुद उसे फील करो ge।४) दरवाजे के पास आप के जूते और चप्पल बिखरे नही होने चाहिए। दरवाजे के पास कोई बड़ा समान नही रखना चाहिए वहा पर हवा का आना जाना प्रॉपर चाहिए ताकि एनर्जी ब्लॉक ना हो।५) घर के दरवाजे पर हमे स्वास्तिक या घोड़े की नाल “U” शेप में लगानी चाहिए। हम “शुभ” , “लाभ” भी लिख सकते है।६) जब हम घर में पोछा लगाते है तब पानी में खड़ा नमक डालना चाहिए जिस से घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे।७) सुबह और शाम घर में कपूर आरती का करना बहोत अच्छा माना गया है।८) अगर आप के घर में शंख है तो सुबह और शाम शंखनाद जरूर करे जिससे माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर आप को आशीर्वाद दे gi। यह कुछ घर के दरवाज़े के उपाय है जिसके करने से आप के घर में सदा शांति बनी रहेगी।

मुख्य दरवाजा सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के उपाय Read More »

ग्राफॉलॉजि एक शास्त्र

||श्री|| आधुनिक मनोविज्ञान मे यह स्पष्ट कर दिया है की मनुष्य के मन का लगभग 12% हिस्सा चेतन मन है और 88% हिस्सा अवचेतन है | सोच विचार और चिंतन मनन करके हम जो कार्य करते है उनमे चेतन मन की ज्यादा भागीदारी होती है, पर जीन कार्य मे हम बिना विचार संलग्न होते है उनमे अवचेतन मन की अधिक सक्रिय भूमिका होती है |  हस्तलिपी और हस्ताक्षर हम सोच विचार करके नही करते | हमारे अंदर की किसी अज्ञात एवं अंजान शक्तीने हमारी लिखावट और दस्तखत की बनावट को निर्मित किया है | इसलिये उनके द्वारा हमे हमारे अवचेतन मन के बारे मे बहुत कुछ जानकारी मिलती है | हस्तलेखन विज्ञान मे इतनी शक्ती होती है की वो किसी भी व्यक्ति के अंदर छिपे हुए गुण एवं कमजोरियो को उजागर कर सके | क्या सिर्फ लिखावट की बनावट को बदल कर किसी भी व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास को बढाया जा सकता है?? जी इस सवाल का जवाब हा है | ग्राफॉलॉजी आपके अंदर इतनी ताकद पैदा कर देगी की आप जीवन मे आने वाली हर तरह की चुनौतियोंको सुअवसरो मे बदल पायेंगे | हालात चाहे कैसे भी हो यह हमारे अंदर हिम्मत और हौसला बढा सकती है | सही ढंग से किये हुए हस्ताक्षर अगर किसी के भाग्य को चमका सकते है तो वही गलत तरीके से किये गये हस्ताक्षर बेवजह की अडचने पैदा कर सकते है | हमे अपने हस्ताक्षर किस तरह से करने चाहिये इसकी जानकारी हमे ग्राफॉलॉजी के शास्त्र मे मिलेगी | कोई भी व्यक्ती आपली लिखावट और हस्ताक्षर की बारीकियो को समझ कर अपने अवचेतन मन मे छुपी हुई क्षमता गुण और कामियों के बारे मे जान सकते है | अब अगर हमे अपनी कमजोरियों के बारे मे मालूम हो जाये तो फिर सकारात्मक सोच के साथ सुधार करके जीवन को खुशहाल बनाना कठिन नही होगा | इस विज्ञान में ऐसी जादुई ताकद है की आपका कार्यक्षेत्र कोई भी हो आप किसी भी दिशा मे आगे बढना चाहते हो | ग्राफॉलॉजी हर कदम पर आपकी मदत करने मे सहायक होती है | लेकिन एक बात का ध्यान रखना जरुरी है कि कभी भी आधी -अधूरी जानकारी के साथ अपने हस्ताक्षर में बदलाव नही करना चाहिए | इससे कुछ फायदा होने की बजाये नुकसान हो सकता है | इसलिये आपको जब भी सुधार की जरुरत मेहसूस हो तो आप किसी हस्तलेखन विशेषज्ञ से सलाह मश्वरा करने के बाद ही अपनी लिखावट और हस्ताक्षर मे बदलाव करे | धन्यवाद

ग्राफॉलॉजि एक शास्त्र Read More »

कलो चंडी विनायको

“कलो चंडी विनायको” का अर्थ है कि कलियुग में चंडी (देवी दुर्गा) और विनायक (भगवान गणेश) की उपासना शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है।इसका तात्पर्य यह है कि कलियुग, जो कि चार युगों में सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण माना जाता है, में मनुष्य के जीवन में कई तरह की समस्याएँ और बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे समय में, देवी दुर्गा और भगवान गणेश की पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि:देवी दुर्गा: चंडी के रूप में वे शक्ति और ऊर्जा की प्रतीक हैं। वे नकारात्मक शक्तियों और बुराइयों का नाश करती हैं। चंडी की उपासना व्यक्ति को कठिनाइयों से उबारने और जीवन में संतुलन और शक्ति प्रदान करने में सहायक होती है। देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा प्राप्त करता है। भगवान गणेश: विनायक को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। उनकी उपासना से जीवन के सभी कार्यों में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। वे सफलता, समृद्धि और ज्ञान के दाता हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी की पूजा करने से उस कार्य में आने वाली सभी बाधाओं का अंत होता है।कलियुग में मनुष्य के सामने बहुत सी मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक चुनौतियाँ आती हैं। देवी चंडी और भगवान गणेश की उपासना से व्यक्ति इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है और शीघ्र ही फल प्राप्त करता है।

कलो चंडी विनायको Read More »

नक्षत्र

नक्षत्र और मनुष्य जीवन के बीच का संबंध वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब एक व्यक्ति का जन्म होता है, तो उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, उसे व्यक्ति का जन्म नक्षत्र कहा जाता है। यह नक्षत्र व्यक्ति के जीवन, स्वभाव, व्यक्तित्व, और उसकी जीवन यात्रा पर प्रभाव डालता है

नक्षत्र Read More »

Translate »