“कलो चंडी विनायको” का अर्थ है कि कलियुग में चंडी (देवी दुर्गा) और विनायक (भगवान गणेश) की उपासना शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है।
इसका तात्पर्य यह है कि कलियुग, जो कि चार युगों में सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण माना जाता है, में मनुष्य के जीवन में कई तरह की समस्याएँ और बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे समय में, देवी दुर्गा और भगवान गणेश की पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि:
देवी दुर्गा: चंडी के रूप में वे शक्ति और ऊर्जा की प्रतीक हैं। वे नकारात्मक शक्तियों और बुराइयों का नाश करती हैं। चंडी की उपासना व्यक्ति को कठिनाइयों से उबारने और जीवन में संतुलन और शक्ति प्रदान करने में सहायक होती है। देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा प्राप्त करता है।
भगवान गणेश: विनायक को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। उनकी उपासना से जीवन के सभी कार्यों में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। वे सफलता, समृद्धि और ज्ञान के दाता हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी की पूजा करने से उस कार्य में आने वाली सभी बाधाओं का अंत होता है।
कलियुग में मनुष्य के सामने बहुत सी मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक चुनौतियाँ आती हैं। देवी चंडी और भगवान गणेश की उपासना से व्यक्ति इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है और शीघ्र ही फल प्राप्त करता है।
